आज है निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा का पूज
विश्वकर्मा को अखिल विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना जाता है। इस सृष्टि में को कुछ भी निर्माण या सृजन होता है सभी विश्कर्मा देवता की आज्ञा के अनुसार ही होता है। ऋग्वेद में इनको दिव्य बढ़ई कहा गया है और इस जगत के पहले वास्तुकार विश्वकर्मा देव ही हैं।
हिंदू कैलेंडर की *’कन्या सूर्य संक्रांति’* को विश्वकर्मा पूजा की जाती है।
कौन हैं विश्वकर्मा देव:
*बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी।*
*प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च।*
*विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः॥*
महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ।
भारतीय संस्कृति के अंतर्गत भी शिल्प, कारखानो, उद्योगों में भगवान विशवकर्मा की महता को स्वीकार करते हुए भारतीय मजदूर संघ द्वारा, प्रत्येक वर्ष 17 सितम्बर को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
*हमारे मन में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर क्यों 17 सितम्बर ही?*
जिस दिन भगवान सूर्य अपनी सिंह राशि से बुध की कन्या राशि में प्रवेश करते हैं उस सूर्य सक्रांति को विश्वकर्मा पूजा के रूप में मनाया जाता हैं हालांकि कुछ लोग इसे विश्वकर्मा जयंती के अवसर के रूप में देखते हैं जबकि जयंती के विषय पर शास्त्रों में मतभेद है इसीलिए वर्ष में दो-तीन बार विश्वकर्मा पूजा की जाती है।
*कौन करता है विश्वकर्मा पूजा:*
विश्वकर्मा देव उन सबके पूजनीय हैं जो हाथ से या मशीन से कार्य करते हैं और विश्वकर्मा की उपाधि हो धारण करते हैं।इनकी पूजा मुख्य रूप से कारखानों और औद्योगिक क्षेत्रों में की जाती है। न केवल अभियन्ता और वास्तु समुदाय द्वारा बल्कि कारीगरों, शिल्पकारों, यांत्रिकी, वेल्डर वर्ग द्वारा पूजा श्रद्धापूर्वक कि जाती है। कारखाने के श्रमिक बेहतर भविष्य, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों और अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के लिए इनकी प्रार्थना करते हैं। श्रमिक विभिन्न मशीनों के सुचारू संचालन के लिए भी प्रार्थना करते हैं।
*क्या सबको करनी चाहिए विश्वकर्मा पूजा:-*
कुछ लोग विश्वकर्मा पूजा को एक जाति, समुदाय या कारखाने की पूजा के रूप में देखते हैं जबकि यह सत्य नहीं है। मशीनरी, विज्ञान, वास्तु सभी हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं इसीलिए शास्त्रों के अनुसार जहां भी त्रिदेवों ( ब्रह्मा, विष्णु और महेश) की पूजा हो वहां विश्वकर्मा पूजा अवश्य करनी चाहिए और कार्यों के अनुसार विवाह, यज्ञ, गृह प्रवेश आदि कर्यो मे अनिवार्य रूप से विशवकर्मा-पुजा यार ध्यान अवश्य करना चाहिए-
*विवाहदिषु यज्ञषु गृहारामविधायके।*
*सर्वकर्मसु संपूज्यो विशवकर्मा इति श्रुतम।।*
विश्वकर्मा की प्रमुख रचनाएं:
विश्वकर्मा देव ने वैसे तो संपूर्ण विश्व का निर्माण किया है परन्तु कुछ कार्य विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं:-
1. द्वारका शहर का निर्माण किया जहां कृष्ण ने शासन किया।
2. पांडवों की माया सभा जहां दुर्योधन कंफ्यूज हुआ था।
3. देवताओं के लिए स्वर्ग का निर्माण
4. देवताओं के हथियारों का निर्माण
5. लंका का निर्माण
6. हस्तिनापुर का निर्माण
7. दुर्गा जी के हथियारों का निर्माण
8. भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और देवराज इंद्र के लिए बज्र का निर्माण
Astrobadri

2 replies on “आज है निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा का पूज”
Reeta Negi
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