अगर आप श्राद्ध करना भूल गए तो अमावस्या को अवश्य करें
पिछले 16 दिनों से चल रहा पुण्यदाई पितृ पक्ष समापन की और अग्रसर है और 17 सितबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृ विसर्जन हो जाएगा।
हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, वह श्राद्ध है।
“श्रद्धया इदं श्राद्धम्”
सिर्फ बेटे ही श्राद्ध कर सकते है ऐसा नहीं है। गरुण पुराण के अनुसार स्त्री हो या पुरुष, कोई भी श्राद्ध कर सकता है और ऐसा हर व्यक्ति जिसने मृतक की सम्पत्ति विरासत में पायी है और उससे प्रेम और आदर भाव रखता है, उस व्यक्ति का स्नेहवश श्राद्ध कर सकता है।
सर्व पितृ अमावस्या 2020
इस बार 17 सितंबर, गुरुवार को सर्व पितृ अमावस्या पर एक विशेष शुभ योग बन रहा है। इस बार पितृ अमावस्या पर सूर्य अपनी सिंह राशि से बुध की कन्या राशि में प्रवेश कर रहे है जबकि एक सामान्य वर्ष में यह परिवर्तन अमावस्या के दूसरे दिन होता है। इसका मतलब यह है कि सूर्य सक्रांति और पितृ विसर्जन अमावस्या एक ही दिन हैं जो की एक शुभ संयोग है। ऐसा ही अगला शुभ संयोग इसके पश्चात 2039 में होगा।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व इस लिए भी अधिक है क्योंकि अगर कोई अपनी पितरों कि मृत्यु तिथि नहीं जनता है या किसी कारण वश पिछले 15 दिन में श्राद्ध नहीं कर पाया तो वो अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकता है।
गया में श्राद्ध का विशेष महत्व
बिहार में फल्गु नदी के तट पर बसे गया में श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। पितृपक्ष के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु पिंडदान के लिए जुटते हैं। गया में पिंड दान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
वैसे तो गया में कभी भी श्राद्ध कर सकते हैं लेकिन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में यहां पर पितरों की मुक्ति की कामना करने वालों की भारी भीड़ जुटती है। पितृ पक्ष में यहां पितृपक्ष मेला लगता है। गया में पहले विभिन्न नामों की 360 वेदियां थीं, जहां पिंडदान किया जाता था। इनमें से अब 48 ही बची हैं। इन वेदियों में विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे और अक्षयवट पर पिंडदान करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसके अतिरिक्त वैतरणी, प्रेतशिला, सीताकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, मंगलागौरी, कागबलि आदि भी पिंडदान के लिए प्रमुख हैं। गया में श्राद्ध करते समय अपने सर के बालों को दान अवश्य करना चाहिए। याज्ञवल्क्यस्मृति में भी कहा गया है:-
गंगायां भास्करक्षेत्रे मातापित्रोर्गृरोम् तौ। आधानकाले सोमे च वपनं सप्तसु स्मृतम्।।
अमावस्या को क्या करें ?
1. अपने पितरों के निमित्त तर्पण और पिंड दान करें।
2. वेद पाठी ब्राह्मण को भोजन कराएं। ( इसमें गरीब को दिया दान शामिल नहीं होता है। दान के पुण्य का फल अलग होता है और श्राद्ध के भोजन का गरुण पुराण में अलग महत्व है।)
3. वेद पाठी ब्राह्मण को सुखी राशन दें।
4. जो भी भोजन बना हो उसको चार अलग अलग प्लेट में लगाएं और उसे गाय, कुत्ता, चींटी और कौवे को खिलाएं।
ASTROBADRI

4 replies on “अगर आप श्राद्ध करना भूल गए तो अमावस्या को अवश्य करें”
Manoj
September 16, 2020Many thanks for this great information.
My wishes with you.
Keep it up.
सन्ध्या
September 16, 2020बहुत बडिया जानकारी
Mayank Pandey
September 16, 2020धन्यवाद् पंडित जी।बहुत अच्छी जानकारी दी है ।
Dr R P Lohumi
September 17, 2020बहुत अच्छा विवरण, सती जी।