राम मंदिर भूमि पूजन मुहूर्त पर हो रहा विवाद निराधार: पंडित पुरूषोतम सती

04 Aug, 2020

5 अगस्त को अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन के लिए अलग अलग तर्क दिए जा रहे हैं कि ये अशुभ मुहूर्त है। अशुभ मुहूर्त के संदर्भ में जो तर्क दिए जा रहे हैं वो निम्नलिखित हैं:

1. उत्तरायण और शुक्ल पक्ष को वरीयता दी जानी चाहिए थी।
2. बुधवार को अभिजीत मुहूर्त वर्जित होता है।
3. भाद्रपद मास में शुभ कार्य वर्जित है

अब ज्योतिष के विद्यार्थी होने के नाते इस विषय पर अपना मत रखने का अधिकार हो जाता है।
व्यक्तिगत तौर पर मैं मानता हूं कि अगर मनुष्य के मन में श्रद्धा और भक्ति हो तो कोई भी मुहूर्त शुभ होता है और राम मंदिर निर्माण जैसे विषय में जिसमें सम्पूर्ण राष्ट्र की संकल्पशक्ति जुड़ी हो तो कुछ विशेष मुहूर्त की आवश्कता नहीं है। जिस क्षेत्र में राम मंदिर का निर्माण निश्चित है उस क्षेत्र के चेत्रपाल स्वयं महाबली हनुमान जी हैं जो स्वयं प्रभु राम के अनन्य भक्त हैं तो उनका आशीर्वाद इस भूमि पूजन को मिलना निश्चित है।

अब बात करते हैं ज्योतिष के मुहूर्त की।

पहला ये कि उत्तरायण और शुक्ल पक्ष में भी कोई सोचे कि सर्वथा शुद्ध मुहूर्त दिया जा सकता है तो ये सिर्फ एक भूल होगी। सर्वथा शुद्ध मुहूर्त चयन कर पाना कभी भी और किसी के भी वश की बात नहीं है।

दोषान सर्वान परित्यज्य न शक्यं बहु संवत्सरैः। तस्मात् परीक्ष्य कर्तव्यमल्प दोषं गुणाधिकम्।।”

दूसरा यह कि वर्ष माह दिन लग्न और मुहूर्त ये काल खण्ड उत्तरोत्तर बली कहे गए हैं। क्योंकि निर्धारण की सबसे छोटी इकाई मुहूर्त है इसीलिए किसी कार्य के लिए कोई तिथि निर्धारण कर देने का नाम मुहूर्त प्रचलित हो गया है। अधिक से अधिक दोषों की अल्पता और देश-काल-परस्थिति अनुरूप व्यवस्था विचार आदि गुणों के आधिक्य का विचार किया जाना ही *मुहूर्त विचार* है।

अगला विवाद है बुधवार के अभिजीत मुहूर्त पर। भूमिपूजन का मुहूर्त एक वास्तु मुहूर्त है। अभिजित मुहूर्त पर बुधवासरीय आक्षेप केवल माङ्गलिक कार्यों और दक्षिणवर्ती यात्राओं से जुड़ा है। वास्तु मुहूर्त से नहीं।
*”अभिजिन्न बुधे शस्तं याम्यां तु गमने तथा “*।

आखिरी विवाद है भाद्रपद माह में भूमि पूजन की तो भाद्रपद मास में जब तक भगवान सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में नहीं जाते हैं तब तक भाद्रपद मास का कोई भी दोष नहीं माना जाता है और सूर्य की गति को मानने वालों के लिए अभी भी सावन मास ही है।

अब थोड़ा प्रकाश कल के भूमि पूजन के लग्न चक्र पर:

कल 5 अगस्त को कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि और धनिष्ठा नक्षत्र (पूरे दिन रात्रि ) है। सूर्य लग्न और कार्य लग्न दोनों ही स्थिर राशि में हैं। कार्य लग्नेश मङ्गल, षष्टम भाव से स्वयं लग्न दृष्टा है। कर्क राशि (श्री राम की लग्नराशि) नवम भाव में (नवमेश, नवम से नवमस्थ ) में है। सूर्य से भी नवम भाव में स्वयं सूर्य कुण्डली का नवमेश स्थित हैं। चन्द्र कुण्डली के नवम में वर्गोत्तमी केतु है। ध्यान देने योग्य, वर्गोत्तमी राहू अष्टम में और नीचभङ्ग युक्त बृहस्पति दोष युक्त नहीं रह गए हैं। 5 अगस्त को समस्त अभिजित् काल में बृश्चिक लग्न ही लगातार है।

इस प्रकार कोई भी दोष सिद्ध नहीं होता है और जिस प्रकार से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में संपूर्ण राष्ट्र की चेतना और संकल्प जुड़ा है उसके लिए किसी भी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है।

पंडित पुरूषोतम सती

8860321113

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